उद्धव के खिलाफ अभद्र ट्वीट पर HC बोला- बोलने की आजादी दूसरों के अधिकार खत्म नहीं करती
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के खिलाफ ट्वीट करने पर की गई FIR को रद्द करने की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई की।
कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि लोकतंत्र में एक व्यक्ति को विचारों को व्यक्त करने की आजादी है लेकिन वह दूसरों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता।
दरअसल, वीपी मार्ग पुलिस स्टेशन में समित ठक्कर के खिलाफ उद्धव-आदित्य ठाकरे को लेकर अश्लील और अपमानित ट्वीट करने को लेकर एफआईआर दर्ज है।
गुरुवार को उनके वकील अभिनव ने सुनवाई के दौरान कहा कि संविधान हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह प्रधानमंत्री तक की आलोचना कर सकता है।
जिस पर कोर्ट ने कहा- “सोशल मीडिया पर आलोचना करना आसान हो गया है। लोग सोचते हैं कि वे पीएम या सीएम के खिलाफ पोस्ट करेंगे तो उन्हें पब्लिसिटी मिलेगी।”