"नारी सुरक्षा पर मुर्दा चुप्पी ओढ़कर बैठी है सरकार"
हैदराबाद के बाद बिहार में बर्बरतापूर्ण बलात्कार के बाद हत्या, महिला सुरक्षा के मामले में सरकार की नाकामी का उदाहरण है.
देश में हर साल 40 हज़ार, हर रोज़ 109 और हर घंटे 5 लड़कियों की अस्मत लूट ली जाती है.
13 सितंबर 2013 में निर्भया के गुनाहगारों को फांसी देने का वो फैसला आज छह साल बाद भी अपने अंजाम का इंतजार कर रहा है.
14 अगस्त, 2004यही वो तारीख है जब किसी रेपिस्ट को आखिरी बार फांसी की सजा दी गई थी.
देश की लोकसभा और विधानसभा में बैठे 30 फीसदी नेताओं का आपराधिक रिकार्ड है, जिनमें 51 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध किए जाने के मामले दर्ज हैं. बलात्कार के बढ़ते मामलों के बीच कम सज़ा दर चिंता का विषय है.