आप कहते हो,'पुलिस हमें डिनर करते-करते गिरफ्तार कर सकती है', जान लो सांसदों के लिए क्या नियम हैं

साल 2016 में पश्चिम बंगाल में एक स्टिंग ऑपरेशन ने सियासी जगत में तहलका मचा दिया था. इस स्टिंग ऑपरेशन का नाम था नारदा स्टिंग ऑपरेशन, जिसे अंजाम दिया था नारदा न्यूज पोर्टल के संपादक और मैनेजिंग डायरेक्टर मैथ्यू सैमुअल ने. 2016 में जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने थे, उससे ठीक पहले ये वीडियो सामने आया था, जिसमें टीएमसी के सांसदों और मंत्रियों के अलावा टीएमसी के कई नेताओं को पैसे लेते हुए दिखाया गया था.
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मामला कोलकाता हाई कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने 17 मार्च, 2017 को मामले की सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिए. 16 अप्रैल, 2017 में सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली थी, जिसमें टीएमसी के 13 नेताओं के नाम थे. अब भी इस मामले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कर ही रहा है. और इस जांच को आगे बढ़ाने के लिए सीबीआई को टीएमसी के तीन वर्तमान सांसदों और एक पूर्व सांसद से पूछताछ करनी है. और इसके लिए सीबीआई ने लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को एक पत्र लिखकर मुकदमा चलाने इजाजत मांगी है. सीबीआई जिन तीन सांसदों पर मुकदमा चलाना चाहती है, वो हैं सौगत रॉय, प्रसून बनर्जी और काकोली घोष दस्तीदार. इसके अलावा टीएमसी के पूर्व सांसद और अब बीजेपी के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी गई है.
अगर आम आदमी कोई जुर्म करता है या फिर उसपर किसी अपराध का आरोप लगता है, तो पुलिस हो या सीबीआई या फिर कोई और जांच एजेंसी, वो अपना काम शुरू कर देती है. लेकिन सांसदों के मामले में ऐसा नहीं है. उनके कुछ विशेषाधिकार हैं, जिनके तहत उन्हें कई तरह की छूट मिली हुई है. गिरफ्तारी से लेकर पूछताछ और कोर्ट में गवाही देने से आने की भी छूट सांसदों को मिली है और ये छूट दी है भारत के संविधान ने. भारत के संविधान के भाग पांच के अनुच्छेद 105 में संसद के सदस्यों के विशेषाधिकार बताए गए हैं. हम आपको सांसदों के विशेषाधिकारों को तफ्सील से बताते हैं, जिसके तहत उन्हें कई तरह की छूट मिली हुई है.
# अगर कोई सांसद संसद में या फिर किसी संसदीय समिति की बैठक के दौरान कुछ कहता है तो उसके खिलाफ किसी भी कोर्ट में कार्यवाही नहीं की जा सकती है.
# किसी सांसद को उस वक्त गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, जब सदन चल रहा हो.
# अगर कोई सांसद किसी संसदीय समिति का सदस्य हो और उस समिति की बैठक चल रही हो, तो सांसद को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
# अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक चल रही हो, तब भी किसी सांसद को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
# संसद का अधिवेशन शुरू होने से 40 दिन पहले या संसद का सदन खत्म होने के 40 दिन बाद तक किसी सांसद को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
# अगर कोई सांसद संसद में आ रहा हो या फिर संसद से बाहर जा रहा हो तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
# संसद के परिसर के अंदर लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की इजाजत के बिना दीवानी या आपराधिक कोई समन नहीं दिया जा सकता है.
# अध्यक्ष या सभापति की इजाजत के बिना संसद भवन के अंदर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
# जब सदन चल रहा हो तो संसद के किसी सदस्य को किसी कोर्ट में गवाही देने के लिए समन नहीं किया जा सकता है.
# अगर संसद के किसी सदस्य पर मुकदमा चलाना हो, तो उससे पहले लोकसभा के अध्यक्ष या फिर राज्यसभा के सभापति से इजाजत लेनी पड़ती है.

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