वित्तीय घाटा मंजूर, आगे बढ़ने से परहेज

राज्य परिवहन निगम पर अपनी 'ढपली अपना राग' की कहावत सटीक बैठती है। निगम को सालाना पचास करोड़ का घाटा मंजूर है, मगर घाटे से उबरने के उपायों पर कदम आगे बढ़ाने से परहेज है। यूं तो घाटे के कई कारण हैं, लेकिन यहां हम बात कर रहे देहरादून में कार्यशाला शिफ्ट नहीं होने की। वर्ष 2003 में जब अपना आइएसबीटी बना तभी ये तय हो गया था कि कार्यशाला भी इसके पास ट्रांसपोर्टनगर में शिफ्ट होगी, लेकिन 15 साल बाद भी कार्यशाला शिफ्ट नहीं हो सकी। सिर्फ इसी वजह से सालाना पौने तीन करोड़ का घाटा हो रहा।
परिवहन निगम की कार्यशाला वर्तमान में हरिद्वार रोड पर चल रही है। आइएसबीटी करीब सात किलोमीटर दूर है। रोजाना 200 बसें आइएसबीटी से कार्यशाला आने-जाने की दूरी तय करती हैं। इनमें पर्वतीय डिपो, बी डिपो, ग्रामीण डिपो व जेएनएनयूआरएम की बसें शामिल हैं। ऐसे में औसतन पंद्रह किमी प्रति बस के हिसाब से रोजाना 200 बसें तीन हजार किमी चलती हैं। इस दूरी पर डीजल का खर्च छह हजार रुपये रोज आ रहा। यानी प्रतिमाह सत्रह लाख रुपये। 

More videos

See All